Surya puja में सूर्य को अर्घ्य सही विधि से दें, आइए जानते हैं सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि क्या है! सूर्य को इस संसार का नेत्र माना गया है , हमारे शास्त्रों में पंच देव की उपासना में सूर्य की उपासना व पूजन सर्वोपरि है , तथा पंच देवों के पूजन में सर्वप्रथम सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए | सूर्य देव को भगवान शिव के तीन नेत्र में से एक नेत्र माना गया है ,सूर्य को अर्घ्य दने की विधि-शास्त्रों तथा विधि के अनुसार ही सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए ,जल देने के कुछ महत्वपूर्ण नियम होते हैं नियमों के साथ सूर्य को विधिपूर्वक जल दे!!
- जब आप सूर्य भगवान को जल दे तो आपको अपने दोनों हाथों की हथेलियों के माध्यम से सूर्य को जल देना चाहिए तथा जिस पात्र से आप सूर्य भगवान को जल दे रहे हो उस समय आपकी तर्जनी और अंगूठे आपस में स्पर्श नहीं होना चाहिए अन्यथा आपका दिया हुआ जल निष्फल चला जाता है हमारे शास्त्रों में इसे राक्षसी मुद्रा कहां गया है!
- सूर्य देव को जल किसी तांबे या काँसे के पात्र में ही अर्पित करना चाहिए सूर्य देव को तांबा सर्वाधिक प्रिय होता है इस लिए तांबे के पात्र में जल देना अधिक लाभकारी माना गया है |
- सूर्य भगवान को 3 बार जल देना चाहिए तथा तीन बार अपने स्थान पे ही परिक्रमा करते हुए जल दे!!
- सूर्य देव को जल हमेशा झुककर अर्थात नमस्कार मुद्रा में जल अर्पित करना चाहिए तथा सूर्य को जल हमेशा प्रातः काल ही अर्पित करें!!
- सूर्य को जल प्रातः काल उठकर स्नानादि करके जल दे याद रहे अगर आप गीले कपड़ों में सूर्य को जल देते हैं तो वह आपके लिए ज्यादा लाभकारी होता है!
सूर्य देवता को जल हमेशा मंत्रों के साथ देना चाहिए सूर्य देव के 12 नाम के मंत्रो के साथ सूर्य देवता को जल दे!
Surya puja में सूर्य देवता के 12 नाम इस प्रकार से हैं –
- ओम मित्राय नमः
- ओम रवये नमः
- ओम भानवे नमः
- ओम सूर्याय नमः
- ओम खगाय नमः
- ओम पुष्णे नमः
- ओम हिरण्यगर्भाय नमः
- ओम मरिचाय नमः
- ओम आदित्याय नमः
- ओम सावित्रे नमः
- ओम अर्काय नमः
- ओम भास्कराय नमः
इन 12 नामों के मंत्र के साथ आप सूर्य देवता को अर्ग जरूर दें!
- अगर आप सूर्य देवता को 12 नामों के मंत्रों के साथ अर्ग नहीं दे सकते हैं तो आप सूर्य को जल गायत्री मंत्र से भी अर्पित कर सकते हैं यह मंत्र सूर्य देवता के 12 नाम के मंत्रों जितना ही लाभकारी होता है!!
- अगर आपके कोई विशेष मनोकामना हो तो आप सूर्य को जल देते समय आदित्य हृदय स्रोत का पाठ अवश्य करें इससे आपकी हर मनोकामना शीघ्र पूरी होगी आदित्य हृदय स्त्रोत पाठ के साथ-साथ आप गजेंद्र मुख स्त्रोत का भी पाठ कर सकते हैं
- आपको सूर्य को अर्घ्य देते समय किसी आसन या लकड़ी के साफ-सुथरे पटे पर खड़े होकर ही जल देना चाहिए नहीं तो आपका सूर्य देवता को जल देना व्यर्थ चला जाता है | आपको जो भी आशीर्वाद प्राप्त होना होता है वह पृथ्वी माता स्वयं खींच लेती हैं!!
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व्यापार में लाभ पाने के लिए –
शुद्ध जल को तांबे के पात्र में डाल कर उसमें गेंदे का पुष्प और अक्षत डालने और फिर ओम सूर्याय नमः मंत्र से सूर्य भगवान को जल दे इस तरह आपको प्रतिदिन सूर्य देवता को जल अर्पित करना है इससे आपको व्यापार में लाभ अब शीघ्र होने लगेगा
विवाह के लिए-
सांफ शुद्ध जल किसी तांबे के पात्र में डाल कर उसमें आंवले का रस और एक कनेर का पुष्प डालकर विधि पर्वक सूर्य देवता को जल अर्पित करें इससे अगर आप का विवाह तय नहीं हो रहा है तो शीघ्र तय हो जाएगा या फिर आपके जीवन में या दांपत्य जीवन में चली आ रही समस्या भी दूर हो जाएगी पर यह उपाय आपको प्रतिदिन करना है!
संतान प्राप्ति के लिए –
तांबे के पात्र में साफ शुद्ध जल भरकर उसमें थोड़ा सा अक्षत रोली लाल पुष्प डालकर सूर्य देवता को विधिपूर्वक जल अर्पित करें यह उपाय आपको शीघ्र ही संतान प्राप्ति में मदद करेगा!!
सूर्य को अर्घ्य देने का स्थान-
सूर्य भगवान को जल हमेशा किसी जलाशय , जो भी जलाशय आप के आपके घर के आस-पास हो या आपके घर में कुआं हो या आपके घर के पास कोई नदी हो वही जाकर आप को जल देना चाहिए | आप कहीं भी नहीं जा सकते हो अर्थात आप कहीं ऐसी जगह रहते हैं जहां आपको यह सारी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है , तो आप छत में जाकर सूर्य देवता को जल दे सकते हैं पर ध्यान रहे कि जब आप सूर्य देवता को जल डाल रहे हो तो वह जल आपके पैरों को नहीं लगना चाहिए | तथा सूर्य देवता को जो जल अर्पित कर रहे हैं वह सामने एक पात्र या किसी गमले में गिरना चाहिए| वह गमला तुलसी का बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए क्योंकि सूर्य देव को अर्पित जल तुलसी पर नहीं डालना चाहिए!!
सूर्य को जल देने का महत्व-
- हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि हमें नित्य सूर्य देव की पूजा आराधना करना चाहिए तथा नित्य विधि से सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए!!
- सूर्य भगवान और अर्घ्य प्रिया है सूर्य देव की पूजा हमेशा जल देने से ही संपूर्ण होती है क्योंकि सूर्य देव को अर्घ्य का जल अति प्रिय है
- हमारा शास्त्र कहता है कि जब आप सोबर या सूतक या आप मानसिक रूप से हो तो मन ही मन सूर्य देव की आराधना करके मन ही मन उन्हें जल समर्पित कर सकते हैं भले ही आप पूजा ना करें विधि पूर्वक उन्हें पर आप मन ही मन उनकी पूजा आराधना आराधना कर सकते हैं!!
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