नवरात्रि की पूजन विधि मां ब्रह्मचारिणी का भोग पूजन विधि और कथा

नवरात्र का दूसरा दिन 23 मार्च को पड़ रहा है इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली देवी तप का आचरण करने वाली देवी मां के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा का आशीर्वाद चारों तरफ बरस रहा होता है 

भोग-

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बने व्यंजन का भोग लगाना चाहिए भोग में आप शक्कर मिश्री या पंचामृत का भी भोग लगा सकते हैं तथा मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग पीला होता है

 नियम-

  • नवरात्रि के दिनों में लहसुन प्याज मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए
  • नवरात्रि के दिनों में सिंगार की कोई भी चीज बिकनी नहीं चाहिए क्योंकि नवरात्र में मां दुर्गा का श्रृंगार किया जाता है और श्रृंगार का सामान फेकने  से मां दुर्गा का अपमान होता है
  • नवरात्र में शुद्ध रहकर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए!

पूजन विधि-

नवरात्र के दूसरे दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि करने के बाद मंदिर में गंगाजल छिड़क कर मंदिर को पवित्र करना चाहिए तथा आसन में बैठकर पूजन प्रारंभ करना चाहिए माता रानी को जल धूप दीप लाल कमल गुड़हल अर्पित करना चाहिए उसके पश्चात गाय के घी का दीपक जलाएं और गौरी गणेश तथा कलश और मां ब्रह्मचारिणी का विधिपूर्वक पूजन करें! मां को फल फूल मिठाई अर्पित करें मां ब्रह्मचारिणी की कथा सुने आरती करें हवन करें तथा अंत में क्षमा याचना जरूर करें पूजन करने के बाद प्रसाद वितरण करना चाहिए!

कथा – 

पौराणिक कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था तब देव ऋषि नारद के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की थी कठिन तपस्या के चलते इन्हें तपस्या चारणी अर्थात ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है कथा के अनुसार उन्होंने 1000 वर्ष तक केवल कंद और मूल खाकर व्यतीत किया था और 100 वर्षों तक केवल साग खाकर जीवन व्यतीत किया कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए खुले आसमान के नीचे वर्षा और धूप भी सही इस प्रकार कई हजार वर्षों की तपस्या के चलते मां का शरीर 69 हो उठा उनकी यह दशा देख मां मैना अत्यंत दुखी हुई देवी की इस कठिन तपस्या से तीनों लोगों में हाहाकार मच गया अंत में पिता ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी से उन्हें संबोधित करते हुए बड़े ही प्रसन्न मन से कहा देवी आज तक किसी ने भी ऐसी कठिन तपस्या नहीं की जैसी तुमन की है तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी भगवान शिव तुम्हें पति रूप में अवश्य ही प्राप्त होंगे इस प्रकार देवी की कठिन तपस्या के बाद उन्हें भगवान शिव पति रूप में प्राप्त हुए!

आरती –

ओम जय ब्रह्मचारिणी मां,

मैया जय ब्रह्मचारिणी मां!!

अपने भक्तजनों पर, करती सदा दया 

ओम जय ब्रह्मचारिणी मां।।

दर्शन अनुपम मधुरम, साधनारत रहती

शिवजी की आराधना ,मैया सदा करती।।

बाएं हाथ कमंडल, दाहिने हाथ मला

 रूप ज्योतिर में अद्भुत, सुख देने वाला।।

देव ऋषि मुनि साधु ,गुण मा के गाते

शक्ति स्वरूपा मैया ,सब तुझको ध्याते।।

संयम तक वैराग्य ,प्राणी को पाता

ब्रह्मचारिणी मां को ,जो निस दिन ध्याता।।

नवदुर्गा में मैया ,दूजा तुम्हारा स्वरूप

श्वेत वस्त्र धारणी मां, ज्योति मैं तेरा रूप।।

दूजे नवरात्रि मैया ,जो तेरा व्रत धरे 

कर के दया जग जननी तो उसको तारे।।

शिवप्रिया शिव ब्रह्माणी ,मैया दया की जै

बालक हैं हम तेरे चरण शरण ली जै।।

शरण तिहारी आई ,ब्रह्माणी मां

करो ना हम पर दिखाओ, शुभ फल की दाता।।

ओम जय ब्रह्मचारिणी मां

ओम जय ब्रह्मचारिणी मां।।

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