Shaligram जिसके घर में भगवान शालिग्राम की प्रतिमा प्रतिष्ठित होती है उसके घर कभी भी कलयुग का वास नहीं हो सकता उसके घर भूत प्रेत बाधा आदि नहीं होती है तथा जिसके घर शालिग्राम भगवान का पूजन नहीं होता वह घर घर नहीं होता उस घर में कभी सुख नहीं हो सकता इसलिए शालिग्राम घर में अवश्य रखना चाहिए
Shaligram महत्व–
शिवलिंग की तरह शालिग्राम भी बहुत दुर्लभ है शालिग्राम नेपाल के मुक्तिधाम क्षेत्र के गंडकी नदी के तट पर मिलते हैं शालिग्राम अनेक रंग के होते हैं बुरे नीले सफेद सुनहरे शालिग्राम गंडकी नदी पर पाए जाते हैं लेकिन 33 प्रकार के शालिग्राम होते हैं ऐसा माना जाता है की 24 शालिग्राम को भगवान विष्णु के 24 अवतार से संबंधित माना गया है क्योंकि शालिग्राम विष्णु भगवान का प्रतीक है शालिग्राम अगर गोल स्वरूप है तो वह श्री हरि विष्णु के गोपाल रूप होते हैं और मछली के आकार के होते हैं तो शालिग्राम भगवान विष्णु के 10 अवतार का प्रतीक है अगर शालिग्राम कछुए के आकार का है तो मैं शालिगम भगवान श्री हरि विष्णु के कच्छप अवतार माना जाता है |
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शालिग्राम कौन है-
प्राचीन कथा के अनुसार पुराने समय में वृंदा नाम की सती स्थिति जिसने अपने पति जालंधर को भगवान विष्णु के द्वारा छल पूर्वक मार दिए जाने पर यह श्राप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है इसलिए तुम पत्थर के बन जाओ तब विष्णु भगवान पत्थर के बन गए थे वह पत्थर यही शालिग्राम है और तब से शालिग्राम की पूजा की जाने लगी जिस घर में शालिग्राम की पूजा होती है वहां तुलसी का पौधा होना बहुत ही आवश्यक है क्योंकि जब विष्णु भगवान को श्राप दिया गया था तब ब्रह्मा जी ने आकर वृंदा को और भगवान विष्णु को आशीर्वाद दिया था कि शालिग्राम की पूजा कभी भी बिना तुलसी के संपूर्ण नहीं मानी जाएगी क्योंकि वृंदा ही तुलसी का स्वरूप है शालिग्राम की पूजा तुलसी के साथ की जाती है तथा शालिग्राम की पूजा तुलसी के साथ करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है शालिग्राम के पूजा बिना तुलसी के अधूरी मानी जाती है जिस घर में शालिग्राम होते हैं वह घर तीर्थों से भी श्रेष्ठ होता है तथा उस घर में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है जहां शालिग्राम होते हैं वहां मां लक्ष्मी सदैव निवास करती हैं
नियम–
- शालिग्राम जी सात्विकता के प्रतीक है उनके पूजन में अचार विचार की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए
- जिस घर में शालिग्राम का पूजन होता है उस घर में मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए तथा साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए
- जो भी व्यक्ति शालिग्राम का पूजन करते हैं उन्हें सात्विक भोजन करना चाहिए अर्थात उन्हें तामसिक भोजन या ने लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए
- शालिग्राम पत्थर घर में केवल एक ही रखना चाहिए एक से दूसरा स्थापित नहीं करना चाहिए
पूजन विधि–
- शालिग्राम के पूजन में सर्वप्रथम घी का दीपक जलाएं तथा उसके बाद शालिग्राम को स्नान कराएं स्नान के बर्तन में थोड़ा सा तुलसी का पत्ता और तेल डालने उसके बाद उस पर शालिगम को रखें और उन्हें संघ से स्नान कराएं उसके पश्चात पंचामृत से स्नान कराएं पंचामृत से स्नान कराने के बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं उसके बाद उन्हें किसी पात्र या आश्रम मे रखें उसके पश्चात उन्हें सारी जगह इत जरूर लगाएं उसके पश्चात है चंदन पोस्ट तुलसी और तेल फल मिठाई जल चढ़ाएं इस तरह से भगवान शालिग्राम का पूजन करें उसके पश्चात आरती करें उसके पश्चात आरती करें
शालिग्राम आरती–
शालिग्राम सुनो विनती मेरी ।
यह वरदान दयाकर पाऊं ॥
प्रात: समय उठी मंजन करके ।
प्रेम सहित स्नान कराऊँ ॥
चन्दन धुप दीप तुलसीदल ।
वरन -वरण के पुष्प चढ़ाऊँ ॥
तुम्हरे सामने नृत्य करूँ नित ।
प्रभु घंटा शंख मृदंग बजाऊं ॥
चरण धोय चरणामृत लेकर ।
कुटुंब सहित बैकुण्ठ सिधारूं ॥
जो कुछ रुखा सूखा घर में ।
भोग लगाकर भोजन पाऊं ॥
मन वचन कर्म से पाप किये ।
जो परिक्रमा के साथ बहाऊँ ॥
ऐसी कृपा करो मुझ पर ।
जम के द्वारे जाने न पाऊं ॥
माधोदास की विनती यही है ।
हरी दासन को दास कहाऊं ॥
Guruvar vrat katha -पूजन विधि,कथा,नियम और इनका उद्यापन!!!
शालिग्राम घर पर कैसे लाए–
शास्त्रों में ऐसा कहा गया है ना तो शालिग्राम को बेचा जाता है और ना ही खरीदा जाता है जो भी यह कार्य करता है वह नर्क कब होगी होता है जो शालिग्राम को खरीद कर घर लाया जाता है वह मध्यम फल देने वाला होता है तथा शालिग्राम को आप किसी ब्राह्मण द्वारा घर पर लाना चाहिए या ब्राह्मण से प्राप्त करना चाहिए आपको शालिग्राम का मूल्य ब्राह्मण को नहीं देना है दक्षिणा स्वरूप अब उन्हें कुछ भी दे सकते हैं।
ध्यान रखने योग्य बात – शालिग्राम का पूजन कभी भी स्त्रियों को नहीं करना चाहिए तथा शालिग्राम को रोज पंचामृत से स्नान कराना आवश्यक होता है