Pradosh Vrat 2023 : विधि कथा और उद्यापन !!!!!

  Pradosh vrat 2023 प्रदोष व्रत करने से जीवन पर बड़ा ही प्रभाव पड़ता है प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव के आशीर्वाद के साथ हमें चमत्कारिक लाभ भी प्राप्त होते हैं प्रदोष व्रत अनेक लाभों को प्रदान करने वाला है इसे करने वाला हर व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं

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Pradosh Vrat 2023 का महत्व —

प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि थी जोकि देवों के देव महादेव को सर्वाधिक प्रिय तिथि है पुराणों में भी प्रदोष व्रत का महत्व बताया गया है पुराणों में कहा गया है कि जब कलयुग आएगा जब मनुष्य देव आचरण छोड़कर पाप आचरण में युक्त होगा ऐसे में उनके पापों और दोषों से मुक्त कराने वाला यह प्रदोष व्रत ही होगा प्रदोष व्रत बड़ा ही चमत्कारी है यह व्रत भक्तों की सारी मनोकामना को पूर्ण करता है

प्रदोष व्रत कई तरह के होते हैं-

सोमवारी प्रदोष-

सोमवारीप्रदोष व्रत करने से दुख शोक संताप दूर होते हैं मानसिक तनाव दूर होकर मन शांत होता है और शत्रुओं का नाश होता है और महादेव की कृपा प्राप्त होती है मनोकामना पूर्ति के लिए सोमवार प्रदोष ही रहना चाहिए!

मंगल प्रदोष-

मंगलवार का प्रदोष भौम प्रदोष या मंगल प्रदोष कहा जाता है इस दिन व्रत करने से श्री हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है तथा शरीर रोग मुक्त होकर निरोग होता है और कर्ज से मुक्ति मिलती है!

बुध प्रदोष-

बुधवार के दिन पढ़ने वाला प्रदोष बुध प्रदोष कहलाता है बुध प्रदोष का व्रत करने से बुद्धि कुशल होती है तथा मनोकामना की पूर्ति होती है!

गुरु प्रदोष

गुरुवार के दिन पढ़ने वाला प्रदोष गुरु प्रदोष कहलाता है गुरु प्रदोष का व्रत करने से धन की समस्या दूर होती है तथा मान सम्मान वह विद्या की प्राप्ति होती है व्यापार में उन्नति मिलती है इसलिए गुरु प्रदोष का व्रत जरूर करना चाहिए!

शुक्र प्रदोष-

शुक्रवार के दिन पढ़ने वाला प्रदोष शुक्र प्रदोष कहलाता है शुक्र प्रदोष का व्रत करने से सुख समृद्धि तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है शुक्र प्रदोष का व्रत करने से मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है!

शनि प्रदोष- 

शनि प्रदोष का व्रत करने से वैभव तथा संतान प्राप्ति होती है और शनि की साढ़ेसाती तथा शनि की कुदृष्टि से शांति मिलती है!

रवि प्रदोष- 

रविवार के दिन पढ़ने वाला प्रदोष रवि प्रदोष कहलाता है रवि प्रदोष का व्रत करने से ग्रह दोष दूर होते हैं तथा सरकारी नौकरी यश और मान सम्मान में बढ़ोतरी होती है!

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प्रदोष व्रत करने के नियम

  • पहले प्रदोष व्रत में प्रातः काल उठकर नित्य कर्म करके गंगाजल को पानी में डालकर स्नान करें स्नान करने के बाद हल्के रंग के वस्त्र पहने नीला काला वस्त्र इस दिन बिल्कुल ना पहने!
  • मंदिर जाकर या घर पर ही भगवान शिव के सामने बैठकर अपने दाहिने हाथ में पुष्प गंगाजल और अक्षत लेकर और कुछ दक्षिणा रखकर अपने व्रत का संकल्प जरूर करें क्योंकि किसी भी व्रत को प्रारंभ करने से पहले संकल्प लेना बहुत ही आवश्यक होता है!
  • प्रदोष व्रत में आपको निर्जला या निराहार व्रत रखना होता है यदि आप बच्चे बूढ़े या रोगी है तो आप फलाहार कर सकते हैं सुबह पूजन के बाद फल या दूध ले सकते हैं पर केवल एक ही बार खाएं दिन भर आपको नहीं खाना है!
  • प्रदोष व्रत अगर आप कर रहे हैं तो आपको लड़ाई झगड़ा निंदा से दूर रहना चाहिए तथा घर पर आपको भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन बहुत ही आवश्यक है!
  • प्रदोष व्रत में आपको नमक का सेवन नहीं करना चाहिए प्रदोष व्रत में केवल मीठे का ही सेवन करें!
  • प्रदोष व्रत आपको 26 प्रदोष व्रत करने चाहिए तथा 27 में प्रदोष व्रत में उद्यापन करना चाहिए!

पूजन का समय

प्रदोष व्रत में पूजन के समय का बड़ा महत्व होता है क्योंकि प्रदोष व्रत में पूजन का समय निर्धारित समय पर होता है प्रदोष व्रत का पूजन हमेशा प्रदोष काल में ही करना चाहिए प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के समय के एक या डेढ़ घंटा पहले का समय तथा 1 घंटे बाद का समय होता है!

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पूजन विधि

  • प्रदोष व्रत के दिन आपको सूर्योदय से पहले उठना चाहिए तथा नित्य कर्म के बाद स्नानादि करके आप साफ धुले हुए वस्त्र धारण करें
  • किसी भी व्रत में सूर्य देव को जल अर्पित करना बहुत ही आवश्यक होता है इसलिए सर्वप्रथम सूर्य देव को जल अर्पित करें!
  • अगर आप चाहे तो मंदिर में जाकर या घर पर ही भगवान शिव की विधिवत पूजन करें आपको प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए!
  • संध्या काल के समय भगवान शिव और मां पार्वती का पूजन करें सर्वप्रथम पूजन में आप घी का दीपक जलाएं उसके बाद अपना पूजन प्रारंभ करें पूजन में आप भगवान शिव का अभिषेक करें भगवान शिव को 5 बार दूध दही शहद सब कुछ अर्पित करें सफेद मिठाई सफेद फूल तथा साथ ही साथ ओम नमः शिवाय का जाप करते रहे |

व्रत कथा

प्राचीन समय की बात है एक नगर में एक सेठ रहता था वह धन दौलत और वैभव से संपन्न था वह अत्यंत दयालु था उसके यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता था वह सभी को जी भर कर दान दक्षिणा दिया करता था दूसरों के सुख मैं ही उसे सुख प्राप्त होता था लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं थी संतान न होने के कारण सेठ और सेठानी सदैव दुखी रहा करते थे 1 दिन दोनों ने तीर्थ यात्रा पर जाने का निश्चय किया वह अपने सारे कामकाज अपने सेवकों को सौंपकर तीर्थ यात्रा पर चल पड़े वह नगर के बाहर निकले ही थे कि उन्हें एक विशाल वृक्ष के नीचे समाधि लगाए एक साधु महाराज दिखाई पड़े दोनों ने सोचा साधु महाराज से आशीर्वाद लेकर आगे बढ़े जिससे यात्रा में कोई बाधा ना आए वह वहीं खड़े हो गए उनकी साधना से जागने का इंतजार करने लगे वही खड़े-खड़े रात हो गई अगला दिन बीत गया लेकिन साधु महाराज समाधि से नहीं जागे मगर सेठ और सेठानी धैर्य पूर्वक हाथ जोड़कर बैठे रहे अंत में साधु महाराज प्रातः काल समाधि से उठे उन्होंने सेठ और सेठानी को देखा और मंद मंद मुस्कुराए और आशीर्वाद देते हुए बोले मैं तुम्हारे धैर्य और भक्ति भाव से प्रसन्न हूं तथा साधु ने उन्हें संतान प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत की विधि बताएं और शंकर भगवान की वंदना करने को बताया तब दोनों पति-पत्नी में प्रदोष व्रत किया और उन्हें भगवान शिव की कृपा से संतान की प्राप्ति हुई |

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उद्यापन विधि

आपने जितना भी संकल्प लिया हो प्रदोष व्रत करने का संकल्प पूरा होने के बाद आपको उद्यापन करना चाहिए उधापन के1 दिन पहले आपको गणेश जी का पूजन अवश्य करना चाहिए अगले दिन प्रदोष में 5 रंगों की रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें कलश स्थापना करें ब्राह्मण को बुलाकर रुद्राभिषेक और हवन करवाए 108 आहुति डलवाए तथा ब्राह्मण दंपति को भोजन कराएं और ब्राह्मण दंपति को वस्त्र दक्षिणा आदि देकर ब्राह्मण दंपति का आशीर्वाद प्राप्त करें इस तरह साधारण तरीके से आप प्रदोष व्रत का उद्यापन कर सकते हैं |

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