Guruvar vrat katha -पूजन विधि,कथा,नियम और इनका उद्यापन!!!

Guruvar vrat katha जानते हैं कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु का पूजन होता है पर गुरुवार की यह उपासना आपको मां लक्ष्मी की कृपा और साथ ही साथ भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त करता है गुरुवार के दिन इस उपासना करके भगवान विष्णु की कृपा से आपके घर लक्ष्मी का वास होता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है

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गुरुवार का महत्व – 

गुरुवार के दिन बृहस्पति भगवान तथा भगवान विष्णु दोनों की उपासना की जाती है साथ ही केले के पेड़ की पूजा बड़ी ही फलदाई मानी गई है बृहस्पतिवार के दिन व्रत से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है तथा ऐसा कहा जाता है कि अगर आप साल भर गुरुवार का व्रत करते हैं तो घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है गुरुवार का हमारे जीवन में बड़ा ही प्रभाव पड़ता है सुख समृद्धि पारिवारिक शांति वैवाहिक जीवन विद्या पुत्र इन सभी के दाता भगवान बृहस्पति देव है इस व्रत को करने से हमारी सारी संसारी खुशियां बनी रहती हैं!

व्रत प्रारंभ- 

1 वर्ष में आपको 16 गुरुवार के व्रत करना चाहिए तथा 16 गुरुवार का व्रत करने से आपको मनवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है तथा आपकी कोई भी मनोकामना पूर्ण होती है

गुरुवार व्रत का प्रारंभ पूछ के महीने को छोड़कर किसी भी महीने के प्रारंभ में पढ़ने वाले गुरुवार को आप व्रत प्रारंभ कर

 सकते हैं तथा शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ माना जाता है इसलिए शुक्ल पक्ष में ही गुरुवार का व्रत प्रारंभ करें!

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पूजन सामग्री- 

  • चने की दाल
  • गुड 
  • हल्दी
  •  केला
  • आम की लकड़ी 
  • विष्णु भगवान की प्रतिमा
  • मुनक्का
  • गंगाजल
  • घी
  • दीपक
  • पीले पुष्प
  • पीला वस्त्र 

पूजन विधि 

  • व्रत के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि करके पीले साफ वस्त्र धारण करें और जहां आपको पूजा करनी है वह स्थान साफ कर ले और वहां पर हल्दी से चौक पर ले और वहां पर विष्णु भगवान की प्रतिमा स्थापित करें या फिर आपके लेकर वृक्ष ही भी पूजा कर सकते हैं
  • हाथ में चने की दाल ले ले और 16 गुरुवार व्रत करने का संकल्प लें वह चने की दाल को केले के पेड़ या विष्णु भगवान की प्रतिमा पर चढ़ा दे
  • फिर दीपक के लिए चौक फोरलेन उस पर घी का दीपक रखें और एक पीले कपड़े में नारियल सिक्का हल्दी थोड़ी सी चना दाल डालकर अपनी मनोकामना बोलकर वही रख दें और 16 गुरुवार उसे भगवान के मंदिर या पूजा स्थान पर ही रहने दे उसके बाद आप अपनी पूजा शुरू करें
  • प्रथम प्रभु को स्नान कराएं फिर चंदन हल्दी रोली पोस्ट चने की दाल मुनक्का आदि विष्णु भगवान को चढ़ाए ध्यान रहे कि गुरुवार की पूजा में भगवान विष्णु को चावल नहीं चढ़ाना चाहिए फिर भगवान विष्णु को चने की दाल गुड मुनक्के का भोग चढ़ाएं चल में शक्कर मिश्रित कर भोग शांत चढ़ाएं भोग में तुलसी पत्र अवश्य डालें तथा उसके पश्चात कथा सुने और गुरुवार की कथा सुनने के समय बिल्कुल भी बोलना नहीं चाहिए फिर विधिपूर्वक पूजन कर हवन करें आरती करें!

गुरुवार की पूजा के नियम –

  • गुरुवार की पूजा और व्रत के कुछ खास नियम होते हैं जिनका पालन करना बहुत आवश्यक होता है
  • गुरुवार के दिन गोबर का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा हवन के लिए आम की लकड़ी का उपयोग करें गोबर के उपले का उपयोग बिल्कुल ना करें
  • गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को चावल नहीं चढ़ाना चाहिए
  • बृहस्पति भगवान की पूजा करने के बाद जब कथा सुनी जाती है तब कथा सुनते समय ना उठना चाहिए ना बोलना चाहिए ना ही किसी को बुलाना चाहिए!
  • गुरुवार के दिन साबुन निरमा का उपयोग ना करें तथा गुरुवार के दिन अपने बालों को ना धोए और ना ही कपड़े धोने ऐसा करने से बृहस्पति भगवान नाराज होते हैं!
  • गुरुवार के दिन घर विशेष सफाई ना करें तथा घर का मकड़ी का जाला साफ करना पूर्णतया वर्जित होता है
  • गुरुवार के व्रत में पीला भोजन करें तथा पीला वस्त्र ही धारण करें और भोजन हमेशा मीठा ही करें!

Guruvar vrat kathaगुरुवार व्रत कथा

प्राचीन नगर में एक गरीब ब्राह्मण रहता था नगर के लोगों से भीख मांग कर अपने घर का गुजारा किया करता था उसकी स्त्री बड़ी मलिन तासे रहती थी वह ना स्नान करती ना ही पूजन करती और ना ही किसी को कुछ दिया करती थी भगवान की कृपा से ब्राम्हण की स्त्री को कन्या रूपी रत्न पैदा हुआ वह करने अपने पिता के घर बड़ी होने लगी विष्णु भगवान का पूजन के प्रभाव से गरीबी दूर हो गई तथा कन्या पाठशाला जाती अपनी मुट्ठी में जौ भर कर ले जाती और पाठशाला के मार्ग में डालती जाती जब स्वर्ण के हो जाते तो उन्हें बिन कर घर ले आती 1 दिन में बालिका सोने के जौ को साफ कर रही थी तभी उसे पिता ने देख लिया और कहा बेटी सोने के जौ को साफ करने के लिए सोने का सूप होना चाहिए अगले ही दिन गुरुवार था उस कन्या ने बृहस्पति भगवान की मन से पूजा की और उनसे प्रार्थना करके कहा हे प्रभु अगर मैंने आपकी पूजा सच्चे मन से की हो तो मेरे लिए एक सोने का सुख दे दो बृहस्पति भगवान ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और वह कन्या जब पाठशाला से लौटती हुई जौ बिन रही थी तो उसे भगवान बृहस्पति की कृपा से सोने का सूप मिला उसे उठाकर घर ले आई पर उसकी मां का वही ढंग रहा 1 दिन में बालिका सोने के सूप में सोने के जौ फटक  कर साफ कर रहे थे उस शहर का राजपुत्र वहां से होकर निकला कन्या के रूप और कार्य को देखकर मोहित हो गया और घर जाकर भोजन आदि त्याग कर लेट गया जब इस बात का राजा को पता चला तो वह अपने मंत्रियों के साथ राजपूत्र के पास पहुंच गया और उनसे सभी हाल पूछा बेटे ने सभी हाल बताया और कहा कि मैं उसी कन्या से विवाह करना चाहता हूं जो कि सोने के सूप में सोने के जौ को साफ कर रही थी राजा भी यह सुन आश्चर्य में पड़ा और बोला इस तरह की कन्या का पता तुम ही लगाओ मैं तुम्हारा विवाह उसके साथ अवश्य कर दूंगा बेटे ने उस कन्या के घर का पता बताया और राजा ने ब्राम्हण से जाकर सारा हाल कह दिया ब्राम्हण भी अपने कन्या का विवाह करने को तैयार हो गया कन्या और राजकुमार का विवाह संपन्न हुआ कन्या के घर से जाते ही ब्राह्मण के घर में फिर गरीबी का निवास हो गया कुछ दिन तो ब्राह्मण ने गुजारा किया उसके बाद मै अपनी बेटी के यहां पहुंच गया बेटी ने कुछ धन देकर अपने पिता को विदा किया और कहां के पिताजी आप माताजी को लीवा लाओ मैं उसे विधि बता दूंगी जिससे तुम्हारे घर की गरीबी दूर हो जाएगी बेटी के कहने अनुसार ब्राह्मण अपनी पत्नी को लेकर बेटी के यहां पहुंचा बेटी अपनी मां को समझाने लगी कि मा तुम प्रातः काल उठा करो स्नानादि किया करो विष्णु भगवान का पूजन किया करो पर उसकी मां ने एक भी ना सुने और सुबह उठते ही अपनी पुत्री के बच्चों का जूठन खा लिया इससे एक दिन पुत्री को बहुत गुस्सा आया और उसने एक कोटरी से सामान निकाल कर उसमें अपनी मां को बंद कर दिया प्रातः काल उसमें से निकाला स्नानादि करवा के पूजा पाठ करवाया इससे उसके मां की बुद्धि ठीक हो गई और विष्णु भगवान का विधिपूर्वक व्रत करने लगी और पूजा पाठ करने लगी इससे ब्राह्मण देवता के घर की गरीबी दूर हुई तथा दोनों स्वर्ग को प्राप्त हुए!

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उद्यापन का सामान

  • सवा किलो लड्डू
  • सवा किलो गुड़
  • सवा किलो चने की दाल
  • सवा मीटर पीला कपड़ा
  • दक्षिणा

उद्यापन विधि

उद्यापन के दिन स्नानादि करके सर्वप्रथम विधिपूर्वक विष्णु भगवान का पूजन करें कथा सुनाएं और हवन करें उसके पश्चात जितनी सामग्री आपने ली है सारी सामग्री को में मनस दान देनी होती है गुरुवार का दान हमेशा अपने गुरु को दिया जाता है अगर आपके पास गुरु नहीं है तो आप किसी ब्राह्मण या मंदिर में जाकर सारा सामान दान दें उद्यापन हमेशा सुबह ही करें क्योंकि गुरुवार का उद्यापन दूसरे पैर में नहीं किया जाता है!

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