Ekadashi व्रत जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभकारी होता है एकादशी व्रत करने से भगवान श्री हरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है एकादशी के दिन मां एकादशी भगवान विष्णु की काया से उत्पन्न हुई थी इसलिए यह दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण और फलदाई होता है इस दिन विधिपूर्वक व्रत करने से मां एकादशी तथा भगवान विष्णु सहित महालक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है!!
Ekadashi व्रत का महत्व –
जीवन में एकादशी व्रत का बड़ा ही महत्व होता है आपको अपने पूरे जीवन काल में एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए एकादशी ही एक ऐसा व्रत है जिसमें आपको प्रभु श्री हरि विष्णु से कुछ मांगना नहीं पड़ता एकादशी का व्रत करने से आपकी सारी मनोकामनाएं स्वयं ही श्री हरि विष्णु पूर्ण कर देते हैं इसलिए एकादशी का मानव जीवन में बहुत महत्व माना गया है!
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एकादशी व्रत के नियम–
- एकादशी का व्रत दशमी तिथि से ही प्रारंभ हो जाता है इसलिए आपको दशमी तिथि की रात्रि से ही अन्य का ग्रहण नहीं करना चाहिए क्योंकि एकादशी के व्रत में अन्य का एक दाना भी शरीर में प्रवेश नहीं करना चाहिए
- आपको दशमी तिथि से ही शुद्ध रहना है अर्थात तामसिक भोजन ना करें मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल भी ना करें अपने मन में शुद्ध विचार रखें बैर बुराई का ख्याल बिल्कुल ना करें!!
- एकादशी के दिन सुबह प्रातः काल स्नानादि करके पूजन करके पूजन में आप अपने व्रत का संकल्प जरूर ले आपको व्रत का संकल्प जरूर लेना है तथा आपको जितनी एकादशी का व्रत रहना है उतनी एकादशी का संकल्प ले!!
- एकादशी का व्रत मुख्य निर्जल रखा जाता है अगर आप निर्जला नहीं रह सकते हैं तो आप दिन में केवल एक बार फलाहार कर सकते हैं बस इस बात का ध्यान रहे कि आपको अन्य ग्रहण नहीं करना है!!
- एकादशी के दिन भूलकर भी भगवान विष्णु के माथे पर चावल से तिलक ना करें और ना ही भगवान श्री हरि विष्णु को चावल अर्पित करें आप चावल की जगह तिल का उपयोग कर सकते हैं सफेद तिल!!
- एकादशी व्रत तीन दिवसीय होता है इसलिए द्वादशी के दिन सुबह स्नान आदि करके शुभ मुहूर्त पर पारण करना चाहिए इस दिन भी आपको शुद्ध रहना चाहिए अर्थात मांस मदिरा तथा तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए!!
- एकादशी व्रत में आपको ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए इस दिन आपको दातुन करना चाहिए अर्थात दातुन के लिए लकड़ी का इस्तेमाल करें!!
- एकादशी के दिन अन्य का दान अवश्य करना चाहिए क्योंकि इस दिन अन्य का दान ब्राह्मण को करने से आपको प्रभु श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है!
पूजन सामग्री-
- चौकी
- पीला वस्त्र
- भगवान श्री हरी विष्णु की प्रतिमा
- फल
- तुलसी
- फूल, माला
- जल
- घी
- दिया
- कलावा
- रोली
- हल्दी
- चंदन
- धूप
- पंच पल्लव
पूजन विधि-
- यह पूजन विधि जब आप पूजन का संकल्प अर्थात जब आप व्रत की शुरुआत कर रहे हो तब इस विधि से अपने व्रत की शुरुआत करें बाकी हर एक एकादशी में आप साधारण रूप से पूजा कर सकते हैं जब एकादशी व्रत उठाया जाता है तब इस विधि से पूजन करना चाहिए!!
- एकादशी के दिन प्रात काल उठकर जल्दी स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करना बिल्कुल ना भूलें कोई भी व्रत हो या कोई भी दिन हो आप को सूर्य देवता को जल जरूर देना चाहिए तथा पूजा करते समय संकल्प अवश्य ने बिना संकल्प के आपका एकादशी का व्रत व्यर्थ चला जाएगा!!
- इस दिन आपको शालिग्राम की पूजा अवश्य करनी चाहिए वैसे तो शालिग्राम की पूजा घर में प्रतिदिन होनी चाहिए तथा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए!!
- एकादशी के आराध्य देव भगवान विष्णु है उनकी पूजा आप इस बताई गई विधि के अनुसार करें सर्वप्रथम आप एक चौकी ले ले उसे साफ करके साफ स्थान पर बिछा लें फिर उस पर पीले रंग का वस्त्र आसन की तरह बिछा दें उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करे उसके बाद कलश की स्तथापना करे तथा कलश के नीचे अष्टदल कमल जरूर बनाएं ध्यान रहे की कलश दीप कलश होना चाहिए उसके बाद गौरी गणेश की स्थापना करें और इनका विधिपूर्वक पूजन करें फूल, जल, गंधक, कुमकुम, रोली, जनेऊ, कलावा चढ़ाकर प्रभु की विधि पूर्वक पूजन करें पूजन करने के बाद कथा सुने कथा सुनने के बाद होम करके आरती अवश्य करें किसी भी पूजा में आरती करना बहुत ही आवश्यक होता है!!
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Ekadashi व्रत कथा –
एक समय की बात है जब महाराज युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न पूछते हैं युधिष्ठिर कहते हैं हे जनार्दन यह ekadashi व्रत का क्या महत्व है तथा इसका पालन हमें कैसे करना चाहिए कृपा करके हमें इसके बारे में बताएं युधिष्ठिर महाराज की बात सुन भगवान केशव बोले हे युधिष्ठिर एकादशी के दिन भक्तों को अपने भगवान नारायण की पूजा करना चाहिए और मैं आपको एकादशी की पौराणिक कथा सुनाता हूं आप ध्यान पूर्वक सुनिए एक समय की बात है चंपावती नाम का एक सुंदरनगर हुआ करता था जहां महेस्मत नाम का राजा अत्यंत पराक्रमी और धर्म निष्ठ राजा राज्य करते थे उनके 4 पुत्र थे राजा का सबसे बड़ा पुत्र हमेशा पाप कर्मों से युक्त रहता था वह स्त्री दुराचार जुआ खेलना ब्राह्मणों का अपमान करना यह सब उसके लिए प्रतिदिन के कार्य थे उसके इन पापों को करने का असर राज्य पर पड़ने लगा 1 दिन राजा महेस्मत ने उसे अपने राज्य से निष्कासित कर दिया वह राज्य के बाहर के एक जंगल में रहने लगा लेकिन अभी भी उसकी पाप में प्रवृत्ति में कोई भी कमी नहीं आई वह दिन में जंगल के प्राणियों का शिकार करता और उनके मांस का भक्षण करता था और रात्रि के समय नगर में जाकर लूटपाट करता था वह जंगल में एक अति प्राचीन विशाल भगवान हरि विष्णु अति प्रिय वृक्ष पीपल के वृक्ष के नीचे रहता था 1 दिन संयोगवश ठंड के कारण वह सारी रात सो नहीं पाया शीत लहरों से बचने के लिए उसके पास पर्याप्त वस्त्र नहीं थे वह दशमी की तिथि थी दसवीं की तिथि पर वह सारी रात जागता रहा और उसका शरीर शिथिल हो गया और वह मूर्छित हो गया अगले दिन एकादशी की शुभ सूर्य की गर्मी पाकर उसकी मूर्छा दूर हुई गिरता पड़ता है भोजन की तलाश में निकला पशुओं को मारने के लिए उसमें सामर्थ नहीं था अथर्व पेड़ के नीचे गिरे फल को उठाकर वापस उसी पीपल के वृक्ष के नीचे चला गया तब तक सूर्यास्त हो चुका था उस समय असहाय स्थिति में उसने अपने पूर्व कर्मों को याद करके भगवान विष्णु को याद करने लगा और कहने लगा है प्रभु मेरी क्या स्थिति हो गई है अब आपको यह फल समर्पित है आप यह फल ग्रहण करें उस रात भी बहुत ठंड थी वह ठंड होने के कारण वह सारी रात सो नहीं पाया और जागत रहा और सारी रात भगवान विष्णु का मन में स्मरण करता रहा उस रात अनजाने में उसने एकादशी का व्रत किया तथा उस अनजाने में की गई तपस्या के कारण भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए और उसके सारे कष्ट को दूर कर उसे अच्छे जीवन का वरदान दिया और उसे एकादशी का महत्व भी बताया और प्रभु की कृपा से वह गलत कार्य करना बंद कर दिया और भगवान की भक्ति में लीन रहने लगा तथा हर एकादशी का व्रत करने लगा और लोगों को एकादशी व्रत का महत्व बताने लगा!!!
उद्यापन विधि–
आपको कुल 26 एकादशी का व्रत करना चाहिए 26 एकादशी का व्रत करने के बाद व्रत का उद्यापन कर देना चाहिए इस बात का ध्यान रखें कि उद्यापन हमेशा माघ महीने में करना चाहिए अगर आप शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रह रहे हैं तो शुक्ल पक्ष में उद्यापन करें और अगर कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रह रहे हैं तो कृष्ण पक्ष में उद्यापन करें और अगर दोनों ही एकादशी आप रह रहे हैं तो आप किसी भी पक्ष में उद्यापन कर सकते हैं एकादशी उद्यापन में आपको दान दक्षिणा करना चाहिए उद्यापन के लिए 1 दिन पहले दशमी तिथि के दिन एक समय भोजन करें इस दिन मंदिर साफ करके पूजन की सामग्री आदि सबकुछ घर ले आए उसी दिन शाम को ब्राह्मण को आमंत्रण दे दे और अगले दिन कथा पूजन अपने जोड़े के साथ करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं उन्हें दक्षिणा देकर ब्राह्मणों का आशीर्वाद प्राप्त करें इस प्रकार विधि पूर्वक उद्यापन कर सकते हैं!!
Hamen ekadashi vrat ka udyapan kahan karna chahie
aap apne ghar par hi kre