Somvar: सोमवार का महत्व तथा इस दिन से होने वाले लाभ !!

सोमवार का दिन भगवान शिव का बड़ा ही प्रिय दिन है यह दिन शास्त्रों में बड़ा ही लाभकारी तथा शुभ माना गया है भगवान शिव somvar के आराध्य देव हैं भगवान शिव ज्ञान के अलौकिक गुरु है और ब्रह्मांड कि सभी बुराइयों का नाश करते हैं सोमवार के दिन यदि हम भगवान शिव की पूजा उपासना करते हैं तो वह प्रसन्न होकर मनवांछित वरदान देते हैं सोमवार का दिन नए घर में प्रवेश करने बाद विवाह संबंधी प्रबंध के लिए सबसे उपयुक्त दिन माना गया है भक्त इस दिन माता पार्वती व भगवान शिव की पूजा आराधना करना पसंद करते हैं सोमवार का दिन इच्छा पूर्ति तथा मनोकामना पूर्ति के लिए बड़ा ही विशेष होता है!

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सोमवार का महत्व-सोमवार का दिन हिंदू पंचांग में बड़ा ही महत्वपूर्ण है सोमवार का दिन बड़ा ही शुभ माना गया है भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए somvar को विशेष उपासना करनी चाहिए इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा पाठ मंत्र या व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं सोमवार का दिन बड़ा ही लाभकारी तथा फलदाई होता है इस दिन आप भगवान शिव के सोमवार के अलग-अलग व्रत कर सकते हैं सोमवार के अलग-अलग व्रत अपनी मनोकामना ओं को फोन करने के लिए किए जाते हैं भगवान शिव को सोमवार का आराध्य देवी माना गया है इसलिए आप सोमवार का व्रत जरूर करें सोमवार के व्रत में आप पूरे साल भी व्रत रह सकते हैं तथा दूसरा सावन का सोमवार का व्रत रहे और तीसरा आप सोलह सोमवार का व्रत कर सकते हैं!

कहते हैं सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है पर इन व्रत में सबसे ज्यादा फलदाई सोलह सोमवार का व्रत है शास्त्रों के अनुसार सोलह सोमवार का व्रत बड़ा ही लाभकारी और इच्छा पूर्ति करने के लिए इस व्रत का बड़ा ही महत्व बताया गया है सोलह सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव पढ़े ही प्रसन्न होते हैं तथा आप की सारी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण करते हैं ऐसा माना जाता है कि सोलह सोमवार का व्रत रखने से व्यक्ति की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती है एवं सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है!!

इस व्रत से जुड़ी हुई कई कहानियां हैं जैसे एक गरीब ब्राह्मण ने सोलह सोमवार का व्रत रखा था और उसे आसीन धन की प्राप्ति हुई थी!

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!सोलह सोमवार व्रत का महत्व-देवों के देव महादेव भगवान शिव को यह सोलह सोमवार का व्रत समर्पित है सोलह सोमवार का व्रत विशेष फलदाई है इस व्रत को करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा भगवान शिव मनचाहा वरदान देते हैं भगवान शिव वह देव है जो रंक को भी राजा बना सकते हैं सोलह सोमवार का व्रत इच्छापूर्ति के लिए बड़ा ही लाभकारी माना गया है!!

सोलह सोमवार व्रत का प्रारंभ

सोलह सोमवार का व्रत आप सावन के महीने से या कार्तिक के महीने से प्रारंभ कर सकते हैं तथा अपनी मनोकामना ओं की पूर्ति के लिए यह सोलह सोमवार का व्रत आपको जरूर करना चाहिए सावन के महीने में सोलह सोमवार का व्रत उठाना अत्यंत लाभकारी होता है

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पूजन सामग्री-

  • पीला वस्त्र
  • चौकी
  • दीपक ,घी
  • धूप, फूल, माला
  • जनेऊ ,कलावा
  • शिव परिवार की प्रतिमा ,शिवलिंग
  • पंचामृत ,चूरमे का प्रसाद
  • हवन
  • अष्टगंध चंदन ,इत्र ,सिंदूर
  • सुहाग का सामान
  • लोंग, इलाइची, पान
  • हल्दी ,सुपारी
  • मिट्टी के शिवलिंग

पूजन विधि –

  • सोमवार के दिन जिस दिन आपक व्रत करना है उस दिन आप सूर्योदय से पहले उठ जाएं और नित्य कर्म करने के बाद स्नान आदि करके आप स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण कर ले!
  • उसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें लोटे में थोड़ा सा अक्षत रोली पुष्प और हल्दी डालकर सूर्य देव को जल अर्पित करें!
  • मंदिर में जाकर शिवलिंग की विधिवत पूजा करें और इस दिन आपको सिर्फ परिवार की पूजा करना चाहिए वह शिवलिंग का अभिषेक करें शिवलिंग पर पान सुपारी की दूध दही शहद सब कुछ अर्पित करें व भगवान शिव को सफेद मिठाई सफेद फूल मंत्रों के साथ अर्पित करें!
  • घर के मंदिर में पूजन करने से पहले संकल्प जरूर ले लें संकल्प में आप अपने हाथों में पुष्प और अक्षत लेके अपनी मनोकामना बोलकर और आप से कोई गलती ना हो और कोई भूल चूक ना हो जाए उसकी क्षमा याचना प्रभु से करके वह फूल प्रभु के चरणों में चढ़ा दे!
  • संध्या काल के समय भगवान शिव और मां पर्वती की पूजन करें उसके लिए सर्वप्रथम घी का दीपक जला लें और उसके बाद ही पूजन शुरू करें जिस विधि से सुबह पूजन किया था उसी विधि के साथ शाम को भी पूजन करें अभिषेक अवश्य करें तथा पूजन करने का स्थान आपका एहसान कौन होना चाहिए भगवान शिव पर बेल फूल माला सब कुछ अर्पित करें प्रसाद फल और चूरमा अर्पित करें!!
  • इस बात का ध्यान रखें कि जितनी मात्रा में आपने पहले सोमवार व्रत में प्रसाद बनाया था उतनी ही मात्रा आपको हर सोमवार में लेनी है उतने ही फल उतना ही आटा उतना ही सब कुछ हर सोमवार आपको चढ़ाना है आपको पूजा करते समय मंत्र का जाप ओम नमः शिवाय 11 21 51 बार जरूर करना चाहिए
  • पूजन के बाद प्रसाद के तीन भाग कर ले एक भाग गाय को गाय ना मिली तो ब्राह्मण को भी दे सकते हैं दूसरा भाग कन्या को और और तीसरा भाग आपको खुद ग्रहण करना है ध्यान रहे आपको इस प्रसाद के अलावा और कुछ नहीं खाना है जल भी आप प्रसाद के साथ जितना ग्रहण कर रहे हैं उतना ही पी सकते हैं उसके बाद आपको जल ग्रहण नहीं करना है!

पूजन का समय-

सोलह सोमवार के व्रत में पूजन के समय का बड़ा महत्व होता है क्योंकि यह समय निश्चित होता है सोलह सोमवार का पूजन दिन के तीसरे पहर में किया जाता है  इस व्रत का पूजन काल में किया जाता है प्रदोष काल का समय होता है सूर्यास्त की एक या डेढ़ घंटे पहले का समय व सूर्यास्त के 1 घंटे बाद का समय प्रदोष काल होता है सोलह सोमवार के व्रत में भगवान शिव का पूजन इसी काल में करना चाहिए इस व्रत में ना तो पूजन का समय बदले और ना ही पूजन का स्थान परिवर्तन करें

व्रत के नियम-

  • विवाहित महिलाओं को सोलह सोमवार के व्रत करने से पहले ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए!
  • सोलह सोमवार का व्रत के दिन आपको अपने स्नान के पानी में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए यह सोलह सोमवार के व्रत के नियमों में महत्वपूर्ण नियम है!
  • इस व्रत में आप को शिव परिवार की पूजा अर्चना करना चाहिए तथा किसी भी पूजा पाठ व्रत में सूर्य देव को जल अर्पित करना महत्वपूर्ण माना गया है तथा सूर्य देव के जल के लोटे में हल्दी जरूर डालें!
  • अपने घर की शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें तथा अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान शिव का अभिषेक जरूर करें!
  • शिवलिंग की पूजन करते समय पता शिवलिंग का अभिषेक करते समय आपको ओम नमः शिवाय का जप करते रहना चाहिए इस मंत्र का जप करना विशेष फलदाई होता है
  • भगवान शिव की पूजा में आप को सफेद चीजें चढ़ाने चाहिए जैसे सफेद फूल दूध दही चावल क्योंकि सफेद चीजें भगवान शिव को बहुत ही पसंद है यह भगवान शिव को आप सफेद चीजें अर्पित करें!!
  • इस व्रत में आपको अन्य ना जल कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए इस व्रत में केवल चढ़ाए हुए प्रसाद का तीसरा हिस्सा ग्रहण करना होता है प्रसाद ग्रहण करने के बाद जितना पानी आप भी सकते हैं उतना ही पानी पीना होता है और इस व्रत में आपको केवल मीठा ही ग्रहण करना होता है नमक आप ग्रहण नहीं कर सकते!
  • जो प्रसाद ग्रहण करना होता है वह एक ही स्थान पर ग्रहण किया जाता है इस प्रसाद को चलते-फिरते ग्रहण नहीं करना चाहिए आपको इस व्रत के समय इसका पालन अवश्य करना चाहिए आप इस विधि से पूजन जरूर करें आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी

कथा –

एक समय महादेव पार्वती जी के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में अमरावती नगर में आए वहां के राजा ने एक्सएफ मंदिर बनवाया था शिवजी वहीं ठहर गए 1 दिन पार्वती जी ने शिवजी से कहा नाथ आइए चौपड़ खेले उसी समय पुजारी पूजा करने के लिए आया तब पार्वती जी ने पुजारी से पूछा बताइए पुजारी जी जीत किसकी होगी पुजारी ने कहा शंकर जी की जीत होगी और अंत में पार्वती जी की जीत हुई पार्वती जी ने पुजारी को मीठा भाषण के कारण कुड़ी होने का श्राप दे दिया और पुजारी कोड़ी हो गया कुछ साल बाद कुछ कन्याएं भगवान शिव की पूजन करने आई और पुजारी जी को देखकर उनके गोरी होने का कारण पूछा तब पुजारी जी ने सारा हाल बता दिया कन्याए बोली पुजारी जी आप सोलह सोमवार का व्रत किया करें महादेव तुम्हारे सारे कष्ट दूर करेंगे तब पुजारी जी ने कन्याओं से व्रत की विधि पूछी तब कन्याओं ने बताया कि सोमवार को व्रत करें संध्या काल के समय आधा सेर गेहूं का चूरमा तथा मिट्टी की तीन मूर्तियां बनाएं गुड़ दीप नैवेद्य फूल बेलपत्र से भगवान शिव का पूजन करें और चूरमा का प्रसाद भगवान शिव को अर्पित करें उसी को प्रसादी समझकर लोगों में वितरित करें वितरित करने के बाद खुद भी ग्रहण करें इस विधि से सोलह सोमवार का व्रत करें 17 मई सोमवार को पांच सेर गेहूं के आटे का चूरमा बनाकर भोग लगाएं और उसे बांट दें और सा कुटुंब इस प्रसाद को ग्रहण करें ऐसा करने से शिवजी तुम्हारी सब मनोरथ पूर्ण करेंगे यह कहकर कन्या वहां से वापस चली गई पुजारी जी ने यथा विधि सहित पूजन कर शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त किया और कोड मुक्त हो गया!

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उद्यापन विधि-

सोलह सोमवार व्रत करने के बाद सत्र में सोमवार को उद्यापन किया जाता है अध्यापन के दिन हल्दी और गोबर से आसन कोले प्ले फिर उस पर चौक पर ले उस पर पटा रख ले आसन बिछाकर चावल का आसन दे,कर भगवान शिव तथा मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें उसके पश्चात प्रभु के दाहिने तरफ दीपक प्रज्वलित करें और कलश की स्थापना करें फिर मिट्टी के शिवलिंग बनाएं और दीपक का पूजन करें शिवलिंग का अभिषेक करें चंदन ,वस्त्र, जनेऊ, फूल, माला, गुलाल, तथा पार्वती जी को सुहाग का सामान चढ़ाएं उद्यापन में आप 16 चूरमे के लड्डू का भोग लगाएं और अगर आप कुंवारी है तो उन लड्डूओं को आप कुंवारी खिला कर उन्हें दक्षिणा के साथ दान दें और अगर आप सुहागन है तो सुहागन औरतों को घर में भोजन कराएं और लड्डू के साथ सुहाग का सामान और दक्षिणा दान करें फिर संकल्प पूरा करें और हाथ में चावल फूल लेकर व्रत का पूर्ण होने का कह के प्रभु हमने आपका व्रत पूर्ण किया जो भी गलती हुई हो उसे क्षमा कर हमें आशीर्वाद प्रदान करें उसके बाद होम करें!

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