Akshaya tritiya के दिन दान कर देना यह कुछ चीजें मिलेगा सुख सौभाग्य और धनवान होने का पुण्य

Akshaya tritiya अक्षय तृतीया जिसे आखातीज भी कहा जाता है वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है शास्त्रों में बताया गया है कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उसका फल अक्षय प्राप्त होता है अर्थात जो भी कार्य होते हैं वह शुभ फलदाई होते हैं

vishnu lakshmi

Akshaya tritiya महत्व

अक्षय तृतीया सर्व सिद्ध मुहूर्त के रूपों में विशेष महत्व रखता है इस दिन कोई भी कार्य बिना पंचांग देखें कर सकते हैं जैसे शुभ मांगलिक कार्य विवाह गृह प्रवेश नए वस्त्र की खरीदारी तथा आभूषण की खरीदारी अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना बेहद शुभ माना जाता है तथा नया वाहन जमीन घर खरीदना इस दिन बड़ा ही शुभ फलदाई होता है अक्षय तृतीया के दिन दान का बड़ा महत्व होता है कहते हैं इस दिन किया गया दान से अक्षय फल प्राप्त होता है अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान करने से समस्त पापों से छुटकारा मिलता है तथा अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है

2023 मैं अक्षय तृतीया 22 अप्रैल को पड़ रही है

पूजा मुहूर्त-22 अप्रैल को सुबह 7:45 से प्रारंभ होकर अगले दिन 7:48 पर समाप्त हो जाएगी जिससे आप अक्षय तृतीया के दिन पूजन व खरीदारी किसी भी समय कर सकते हैं अक्षय तृतीया के दिन सारा समय सुबह ही होता

पूजन विधि–

  • अक्षय तृतीया के दिन सुबह प्रातः काल उठना चाहिए तथा इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का बड़ा महत्व होता है तथा पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ फलदाई होता है अगर आप का पवित्र नदी में स्नान करना संभव ना हो तो आप स्नान करने वाले जल में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करें इसके पश्चात साफ वस्त्र पहने और विष्णु भगवान और महालक्ष्मी की विधि विधान के साथ पूजन करें
  • सर्वप्रथम सूर्य देवता को जल अर्पित करें तथा इस दिन महिलाओं को व्रत रखना चाहिए अक्षय तृतीया के दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है
  • पूजन की शुरुआत में एक चौकी ले उस पर पीला कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की स्थापना कीजिए उसके बाद भगवान गणेश का ध्यान कर उनका पूजन कीजिए तथा उसके बाद भगवान विष्णु जी और मां लक्ष्मी जी को गंगाजल से स्नान कराइए भोग लगाइए भगवान विष्णु को इस दिन आपको जो के सत्तू का भोग लगाइए तथा इस दिन भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए 
  • उसके बाद ऋतु फल अर्पित करे विष्णु को पीला पुष्प अर्पित करें तथा मां लक्ष्मी को सफेद फूल कमल या गुलाब का अर्पित करना चाहिए मां लक्ष्मी को श्वेत पुष्प अति प्रिय है तथा इस दिन पूजन करते समय पीला वस्त्र धारण करें |

दान

  • अक्षय तृतीया के दिन 14 तरीके के दान किए जाते हैं इस दिन दान पुण्य का बड़ा महत्व होता है|
  • बर्तन का दान वस्त्र का दान सत्तू का दान मिट्टी का मटका जल से भरा हुआ दान करना चाहिए तथा ठंडी चीजों का दान अवश्य करना चाहिए|
  • इस दिन गरीबों को भोजन कराएं प्याऊ लगवाएं|
  • इस दिन चावल का दान चप्पल जूते का दान नमक का दान की का दान खरबूजे का दान चीनी का दान साका दान इन सब चीजों का दान करना चाहिए इन सब चीजों का दान बड़ा ही पुण्य कार्य माना जाता है आप अपने यथाशक्ति दान करें जितना आप दान कर सकते हैं उतना ही दान करें ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन जो कुछ दान आदि किया जाता है उसका आपको करोड़ों  गुना प्राप्त होता है

अक्षय तृतीया के दिन साथियों को और त्रेता युग का प्रारंभ हुआ था तथा भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में अक्षय तृतीया के दिन अवतरित हुए थे अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म हुआ था यह तिथि बढ़ी ही शुभ कार्य और फलदाई मानी जाती है

इस दिन पूजन के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की आरती जरूर करना चाहिए 

आरती विष्णु जी की–

 ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

 स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का

॥ ओम जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

 स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ 

ओम जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।स्वामी तुम अन्तर्यामी। 

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

।। ओम जय जगदीश हरे।।तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ 

ओम जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

।। ओम जय जगदीश हरे।।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

। ओम जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

।। ओम जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे

। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ 

।।ओम जय जगदीश हरे।

मां लक्ष्मी जी की आरती 

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥

कथा —

बहुत समय पहले की बात है धर्मदास नाम का एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ एक छोटे से गांव में रहा करता था वह बहुत ही निर्धन था उसे हमेशा अपने परिवार का भरण पोषण करने की चिंता लगी रहती थी उसके परिवार में बहुत से सदस्य थे धर्मदास बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था एक बार उसने अक्षय तृतीया के व्रत के महत्व के बारे में सुना उसने व्रत करने का सोचा अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान किया और फिर विधिपूर्वक विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी के पूजन अर्चना आरती की उसने अपने सामर्थ्य अनुसार दान की वस्तु लाकर भगवान विष्णु के चरणों में रखकर उसे ब्राह्मणों को दान दिया यह सब देख धर्मदास के परिवार वाले तथा उसकी पत्नी उसे रोकने की कोशिश करने लगे लेकिन धर्मदास अपने कर्म से विचलित नहीं हुआ और उसने ब्राह्मणों को कई प्रकार का दान दिया अब हर अक्षय तृतीया पर धर्मदास विधिपूर्वक पूजन करने लगा तथा दान आदि करने लगा इस जन्म में पुण्य के प्रभाव से अगले जन्म में वह राजा असावती के रूप में जन्म लिया उसका पति राजा बहुत ही ही प्रतापी राजा थे उनके राज्य में सभी प्रकार के सुख धाम सोना हीरा जवाहरात सभी प्रकार की सुख सुविधाएं उपलब्ध थी किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी उनके राज्य में प्रजा बड़ी खुशी से रहती थी अक्षय तृतीया के प्रभाव से राजा को पूर्ण तथा यश की प्राप्ति हुई |

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