मंगला गौरी व्रत भारतीय संस्कृति में व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है। हर एक व्रत न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा होता है, बल्कि वह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है। ऐसा ही एक अत्यंत शुभ व्रत है “मंगला गौरी व्रत”, जो विशेष रूप से सौभाग्य और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
🕉 मंगला गौरी व्रत क्या है?
मंगला गौरी व्रत, श्रावण मास की प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए किया जाता है, वहीं कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत उत्तम वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
इस व्रत में माँ पार्वती के मंगलमयी स्वरूप ‘मंगला गौरी’ की पूजा की जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक आदि राज्यों में प्रचलित है।
📅 मंगला गौरी व्रत कब किया जाता है?
- यह व्रत श्रावण मास (जुलाई–अगस्त) में आता है।
- श्रावण के प्रत्येक मंगलवार को यह व्रत रखा जाता है।
- इस व्रत को विशेषकर शादी के बाद पहले 5 वर्षों तक करना अनिवार्य माना जाता है। कुछ स्त्रियाँ इसे जीवन भर करती हैं।
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🌺 व्रत की विधि:
व्रत की तैयारी:
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लें और वहाँ माँ गौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- रंगोली से सजावट की जाती है और मंडप बनाया जाता है।

पूजा सामग्री:
- लाल वस्त्र
- फूल (विशेष रूप से कमल और गुलाब)
- पंचमेवा
- नारियल
- श्रृंगार सामग्री (16 श्रृंगार)
- हल्दी, कुमकुम
- दीपक, कपूर
- मिठाई (खीर, पूड़ी, लड्डू आदि)
पूजा विधि:
- माँ मंगला गौरी का ध्यान कर उन्हें स्नान कराएँ, वस्त्र व आभूषण अर्पित करें।
- 16 श्रृंगार चढ़ाएँ और रोली, चावल से तिलक करें।
- दीपक जलाकर कथा सुनी जाती है।
- मंगला गौरी की कथा सुनना अनिवार्य है।
- अंत में आरती कर, प्रसाद वितरण करें।
📖 मंगला गौरी व्रत की कथा:
इस व्रत की कथा एक निर्धन ब्राह्मण कन्या की है, जिसकी शादी एक निर्धन युवक से हुई थी। कन्या की माँ ने मंगला गौरी व्रत कराया और देवी माँ की कृपा से कन्या का जीवन सुख-समृद्धि से भर गया। यह कथा यह संदेश देती है कि माँ गौरी की सच्चे मन से पूजा करने पर हर स्त्री के जीवन से कष्ट दूर हो जाते हैं।
🙏 मंगला गौरी व्रत के लाभ:
- वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।
- पति की आयु लंबी होती है।
- घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
- अविवाहित कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
🌼 विशेषता :
मंगला गौरी व्रत एक आध्यात्मिक साधना है जो स्त्री शक्ति के रूप में माँ गौरी की उपासना से जुड़ी हुई है। यह न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाता है, बल्कि स्त्रियों को मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक बल भी प्रदान करता है।
इस श्रावण मास में आप भी माँ मंगला गौरी का व्रत करें और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन खुशियों से भर दें।