संकटा चौथ या तिलवा चौथ व्रत नियम और विधि और कथा 2025 |

संकटा चौथ या तिलवा चौथ हमारे हिंदू धर्म का एक बहुत प्रसिद्ध त्यौहार है यह व्रत में भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है | भगवान श्री गणेश बुद्धि के देवता और रिद्धि सिद्धि देने वाले है | इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्र के लिए करती है , संकटा व्रत माघ महीने में होता है और यह व्रत बड़ा ही लाभकारी होता है, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है |

महत्व – संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति पाना , इस संकष्टी चतुर्थी या तिलवा चौथ का व्रत अपने संकटों या कस्टो से मुक्ति पाने के लिए भगवान श्री गणेश की आराधना करते है | इस दिन महिलाएं सूर्य उदय से लेकर चंद्र उदय तक विधिपूर्वक व्रत करती हैं तथा भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करती हैं |

संकटा चौथ या तिलवा चौथ

पूजन विधि – इस व्रत में भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है तथा चंद्र देव को अर्ध्य दिया जाता है |

1 सर्वप्रथम प्रातः काल उठकर नित्य कर्म से निमित्र होकर स्नान आदि करके साफ स्वच्छ वस्त्र पहन कर सुबह पहले गणेश जी की वंदना करें पूजन करें तथा जाप करें और व्रत का संकल्प ले बिना संकल्प के कोई व्रत पूरा नहीं होता है इसके बाद पूरा दिन व्रत करें |

2 अब शाम के समय वस्त्र बदलकर श्री गणेश की विधि पूर्वक पूजन करें सर्वप्रथम एक चौकी ले इसके ऊपर गणेश जी भगवान की स्थापना करें फिर कलश की स्थापना करें और कलश का पूजन करें धूप दीप अर्पित करें नावेद के रूप में इस व्रत के में तिल गुड़ के बने हुए लड्डू एक शकरकंद गुड़ घी आदि अर्पित करें तथा तिल का पहाड़ बनाकर रखना इसे सुबह पुत्र के हाथों फोडवाये

3 अब गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को कलश से अर्ध्य दें और धूप दीप दिखाएं

4 भगवान चंद्रमा से अपने घर परिवार की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें

5 उसके पश्चात कथा सुन हवन करें तथा वहां उपस्थित लोगों को प्रसाद बाटे

6 तथा गणेश जी को चढ़ाए गए प्रसाद को तथा पहाड़ को बांश की टोकरी से ढक कर रख दे इस थके हुए नावेद को पुत्र ही खोलना तथा भाई बंधुवो में बांटता है

नियम

1 इस व्रत को महिलाएं अपने बच्चों की कामयाबी तरक्की और दीर्घायु के लिए रखती हैं तो आज के दिन अपने बच्चों को कोई अपशब्द ना बोले

2 व्रत वाले दिन किसी की निंदा चुगली बुराई ना करें 

3 सौभाग्यवती महिलाएं बिना श्रृंगार के पूजा ना करें मांग में सिंदूर हाथों में लाल चूड़ी जरूर पहनें व्रत वाले दिन नाखून और बाल बिल्कुल भी ना काटे

4 तिलवा चौथ के व्रत को निराचल तथा निराहार रहकर ही करें और अगर किसी कारणवश आप ऐसा नहीं कर सकती हैं तो यदि आपका स्वास्थ्य सही नहीं है तो आप फल चाय और फल का जूस लेकर यह व्रत कर सकते हैं

5 संकट व्रत में आप भूल कर भी श्री गणेश को तुलसी का पत्र अर्पित ना करें

6 रात्रि में चंद्रमा को अर्द्ध देने के पश्चात ही अपना व्रत खोलें

7 पूजा करते समय या व्रत कथा सुनते समय आपका मुख दक्षिण दिशा की तरफ ना हो 

पूजन सामग्री_ 

तिल कूट या तिल का पहाड़

चौकी

पीला वस्त्र 

गणेश की मूर्ति

तिल , गुड़,दिया, रोली, दुर्वा , जनेऊ, 

दक्षिणा , फल , कलावा, जल , पुष्प

कथा

मां पार्वती एक बार स्नान करने गई स्नान करके बाहर उन्होंने अपने पुत्र गणेश जी को खड़ा कर दिया और उन्हें रखवाली का आदेश देते हुए कहा कि जब तक मैं स्नान कर खुद बाहर ना आओ किसी को भीतर आने की इजाजत मत देना गणेश जी अपनी मां की बात मानते हुए बाहर पहरा देने लगे इस समय भगवान शिव माता पार्वती से मिलने आए लेकिन गणेश भगवान ने उन्हें दरवाजे पर ही कुछ देर रुकने के लिए कहा भगवान शिव ने इस बात से बेहद आहत और अपमानित महसूस किया गुस्से में उन्होंने गणेश भगवान पर त्रिशूल का वार किया जिससे उनकी गर्दन दूर जा गिरी स्नान घर के बाहर शोरगुल सुनकर जब माता पार्वती बाहर आए तो देखा कि गणेश जी की गर्दन कटी हुई है यह देखकर वह रोने लगी और उन्होंने शिव जी से कहा कि गणेश जी के प्राण फिर से वापस कर दें इस पर शिव जी ने एक हाथी का सिर लेकर गणेश जी को लगा दिया इस तरह से गणेश भगवान को दूसरा जीवन मिला तभी से गणेश जी की हाथी की तरह सुन होने लगी तभी से महिलाएं बच्चों की सलामती के लिए मांग माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत करने लगी

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